परम तपस्वी जीवन
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पंच धुनी तपस्या
पंच धुनी तपस्या एक हठ योग है। यह वैशाख और ज्येष्ठ मास में की जाती है। महाराज जी 61 उपले हर धुनी में रखते है , रोज एक बढ़ता है । उपला 45 दिन की तपस्या होती है, महाराज जी की आखिरी दिन 108 उपले हर धुनी में होते है। राजस्थान जिसमे मरू प्रदेश की इन महीनों में आग उगलती है तापमान 50 डिग्री से ज्यादा चला जाता है और धुनी के अंदर का तापमान और ज्यादा होता है।
शीतल जल धारा तपस्या
इसी प्रकार महाराज जी शीत काल में पौष और माघ मास में शीतल जल धारा तपस्या करते है। इसमें रात्रि काल में कोरे मटकों को खुले स्थान पर पानी से भर कर रखा जाता है और सुबह 5 बजे इन मटकों से स्नान किया जाता है । यह भी 45 दिन की तपस्या महाराज जी करते है । इसमें भी रोज एक मटका बढ़ता है और अंतिम दिन 108 मटकों की संख्या होती है । यह भी हठ योग है।
तपस्या का उद्देश्य क्या हैं
महाराज जी ये तपस्या विश्व कल्याण और अपने भारत को वापस अपने सर्वोच्च स्थान दिलाना है और सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार करना है ।
आईये जानते हैं तपस्या का उद्देश्य और महाराज जी के बारे में भक्तजन से।