यात्रा
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ओगड़नाथ महाराज जी की पवित्र यात्राएँ पैदल भी की हैं। उन यात्राओं का विवरण इस प्रकार है। इन यात्राओं में उनके भक्तगण भी शामिल थे।
उनकी पहली पदयात्रा श्री ओगड़नाथ महादेव, जोधपुर से रामदेवरा धाम की थी, जो लगभग 200 किलोमीटर की दूरी थी और यह यात्रा चार दिनों में पूरी की गई थी। इस यात्रा में पड़ाव, रात्रि विश्राम और विभिन्न स्थानों पर लोगों द्वारा स्वागत भी शामिल था।
इसी क्रम में दूसरी यात्रा श्री ओगड़नाथ महादेव, जोधपुर से श्री द्वारकानाथ, द्वारका तक की थी, जो लगभग 800 किलोमीटर की दूरी थी और यह यात्रा 17 दिनों में पूरी की गई थी। इसमें जगह-जगह स्वागत, रात्रि विश्राम और पड़ाव सम्मिलित थे।

तीसरी पदयात्रा श्री ओगड़नाथ महादेव, जोधपुर से चार धाम, उत्तराखंड की थी, जो लगभग 2200 किलोमीटर की थी। यह यात्रा 34 दिनों में, पड़ाव और रात्रि विश्राम के साथ पूरी की गई थी। इस यात्रा में 30 किलोमीटर ऊँचाई वाले क्षेत्र में सतोपंथ, श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, गंगोत्री, गोमुख, तपोवन, यमुनोत्री, श्री पंच केदार, बद्रीनाथ, वसुधारा दर्शन, माना गाँव, सतोपंथ और गरुड़ गंगा की सीढ़ियाँ आदि स्थानों का दर्शन और सफ़र किया गया था। यात्रा के दौरान कई बार मौसम में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव और वर्षा भी शामिल रही।
चौथी पदयात्रा श्री ओगड़नाथ महादेव, जोधपुर से पुरी–रामेश्वरम् की यात्रा थी, जो लगभग 4000 किलोमीटर की थी। यह यात्रा 55 दिनों में रात्रि विश्राम, पड़ाव और विभिन्न स्थानों पर स्वागत के साथ पूरी की गई। इस यात्रा में श्री जगन्नाथ पुरी दर्शन, सूर्य मंदिर कोणार्क, साक्षी गोपालम आदि स्थानों का भ्रमण किया गया।
इसके बाद रामेश्वरम् धाम की यात्रा हुई, जिसमें श्री रामेश्वरम् दर्शन, 24 कुंड स्नान, सागर स्नान, राम सेतु और कन्याकुमारी आदि स्थलों का सफर किया गया।

इनके अलावा महाराज जी ने गिरनार पर्वत की यात्रा, 12 ज्योतिर्लिंग, सभी नदियों के संगम स्नान, अयोध्या, प्रयागराज महाकुंभ स्नान, कामाख्या दर्शन, गंगासागर, नेपाल पशुपतिनाथ, गया जी, बोधगया, काली माता कोलकाता, सभी सागर में, कुंड में, पवित्र नदियों का स्नान किया जिसमें गंगा, वसुधारा, गोमती, नर्मदा, शिप्रा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, सरस्वती, कावेरी आदि शामिल हैं।
आप महाराज जी के द्वारा अपने सभी भक्तगणों को अपने आशीर्वाद से उत्तराखंड की चार धामों की यात्रा कई बार कर चुके हैं। चार धामों में बड़े वाले में द्वारकानाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, गिरनार, काशी, 12 ज्योतिर्लिंग, नदियों का स्नान आदि काफी यात्राएं हैं, जिसका वृत्तांत सोचते ही बनता है। यह अपने आप में एक दिव्यता है।
आप द्वारा इस मंदिर प्रांगण में कई बड़े-बड़े महाआयोजन, महा रुद्राभिषेक, महा भंडारा, पाठों के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहते हैं। इस नाग पहाड़ पर्वत पर गायों की सेवा भी की जाती है तथा इस वन क्षेत्र को संरक्षित किया गया है। पर्यावरण के हिसाब से यहां की प्रकृति स्वयं सुबह की सेहरियों का चहकना मानो अपने आप में संगीत से महसूस करवाती है।